अन्ना हजारे की गिरफ्तारी पर लोकसभा और राज्य सभा में विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया.
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के प्रस्तावित अनशन से पहले ही दिल्ली पुलिस द्वारा मंगलवार को उन्हें हिरासत में ले लिए जाने के बाद संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ. कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित करनी पड़ी.
लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे जैसे ही शुरू हुई सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया. लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदस्यों को शांत कराने की पूरी कोशिश की लेकिन हंगामा नहीं थमा.
इस कारण सदन की कार्यवाही पहले 11.30 बजे तक के लिए और फिर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. लेकिन 12 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो भी हंगामा नहीं थमा और कार्यवाही बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
कुछ ऐसी ही स्थिति राज्यसभा की भी थी. सुबह 11 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद जबरदस्त हंगामा हुआ और कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
दोपहर 12 बजे दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद भी हंगामा नहीं थमा और कार्यवाही बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
लोकसभा साढ़े 11 बजे तक स्थगित
गांधीवादी कार्यकर्ता अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के विरोध में लोकसभा में आज भाजपा समेत विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण सदन की बैठक शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि उन्हें अन्ना हजारे की गिरफ्तारी के संबंध में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, कम्युनिस्ट गुरूदास दासगुप्ता, मार्क्सवादी वासुदेव आचार्य और सपा के शैलेन्द्र कुमार सहित कुछ सदस्यों के कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस मिले हैं.
उन्होंने कहा कि जदयू के शरद यादव ने देश में भ्रष्टाचार की स्थिति के बारे में प्रश्नकाल को स्थगित करने का नोटिस दिया है.
मीरा कुमार ने कहा कि संसदीय कार्यवाही में इस प्रकार के नोटिस पर कार्य स्थगन का कोई आधार नहीं बनता है इसलिए ये सभी नोटिस खारिज किए जाते हैं. लेकिन उन्होंने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज को अपने विचार रखने की अनुमति दी और साथ ही कहा कि प्रश्नकाल जरूर चलेगा और बाकी सदस्य भी संक्षेप में अपनी बात कह सकते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि सरकार 12 बजे अन्ना हजारे के मसले पर चर्चा कराने को तैयार है. उनका कहना था कि केवल सुषमा के अपनी बात रखने से काम नहीं चलेगा और बाकी सदस्य भी अपनी बात रखना चाहेंगे.
उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष यह बात स्वीकार करे कि सुषमा के बाद वह गृह मंत्री पी चिदम्बरम की बात सुनेगा तो विपक्ष की नेता अपनी बात रख सकती हैं.लेकिन इस मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों का शोरशराबा जारी रहा. सपा के शैलेन्द्र कुमार ‘अन्ना को रिहा करो’ की तख्ती लिए आसन के समक्ष आ गए.
उधर कांग्रेस सदस्य प्रश्नकाल की प्रति दिखाते हुए प्रश्नकाल चलने देने की मांग कर रहे थे. हंगामा थमते नहीं देख , स्पीकर ने बैठक कुछ ही मिनट बाद साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
उधर कांग्रेस सदस्य प्रश्नकाल की प्रति दिखाते हुए प्रश्नकाल चलने देने की मांग कर रहे थे. हंगामा थमते नहीं देख , स्पीकर ने बैठक कुछ ही मिनट बाद साढ़े 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
राज्यसभा में हंगामा, बैठक बारह बजे तक टली
भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रहे प्रख्यात समाज सेवी अन्ना हजारे की गिरफ्तारी का भारी विरोध करते हुए विपक्ष के मंगलवार राज्यसभा में हंगामे के कारण सदन की बैठक शुरू होने के कुछ ही देर बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
सदन की बैठक शुरू होते ही विपक्ष ने हजारे की गिरफ्तारी का मुद्दा उठाना चाहा जबकि सत्ता पक्ष के सदस्य प्रश्नकाल चलने देने की मांग करने लगे.
इसी बीच सभापति हामिद अंसारी ने विपक्ष के नेता अरूण जेटली को अपनी बात कहने का मौका दिया.
जेटली जैसे ही खड़े हुए, कांग्रेस सदस्यों ने उनकी बात सुनने से इंकार कर दिया और प्रश्नकाल चलने देने की मांग करने लगे.
विपक्षी सदस्यों ने अपने नेता को बोलने देने की मांग की. अंसारी ने कांग्रेस सदस्यों से शांत रहने की अपील की. जेटली ने कहा ‘क्या सरकार ने तय कर लिया है कि वह सदन नहीं चलने देगी.’
कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि सभापति ने उन्हें बोलने की अनुमति दी है लेकिन क्या सरकार यह तय कर चुकी कि सदन में विपक्ष को बोलने नहीं दिया जाएगा.उन्होंने कहा ‘क्या सत्ता पक्ष चाहता है कि देश में उठते गंभीर मुद्दों पर सदन में चर्चा न हो.’
हंगामे के बीच ही सदन में भाजपा के उप नेता एस एस अहलूवालिया ने सभापति से कहा कि सदन में व्यवस्था कायम करें.
भाजपा के एम वेंकैया नायडू और जदयू के शिवानंद तिवारी ने कहा कि संसदीय कार्य राज्य मंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री दोनों यहां मौजूद हैं और चुपचाप देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सरकार की तानाशाही है.
जेटली ने कहा ‘यह लोकतंत्र की हत्या है.’
सरकार संसद के बाहर विरोध करने के अधिकार का दमन कर रही है और संसद के अंदर विपक्ष को बोलने नहीं दिया जा रहा है.
इस बीच कांग्रेस के कुछ सदस्य आसन के समीप आने लगे. सभापति ने उनसे लौटने की अपील की और कहा ‘यह परंपरा है कि अगर विपक्ष के नेता बोलना चाहते हैं तो उन्हें अनुमति दी जाती है’. इसलिए विपक्ष के नेता को अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए. लेकिन कांग्रेस सदस्यों का हंगामा जारी रहा.
शोरगुल थमते न देख सभापति ने बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थागित कर दी.
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