बुधवार सुबह प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में बयान देने को राज़ी हो गए. मालूम हो कि भाजपा इस पूरे मामले पर पीएम के बयान की मांग कर रही थी.
प्रधानमंत्री 11 बजे लोकसभा में आए और अपना लिखित बयान पढ़ना शुरू किया.
प्रधानमंत्री ने कहा कि अन्ना के आदर्श सही हो सकते हैं लेकिन उन्होंने जो रास्ता अपनाया है वह गलत है. उन्होंने कहा कि अन्ना हज़ारे संसद पर लोकपाल बिल थोपना चाहते हैं पर यह ठीक नहीं है. उन्होंने सदन में कहा कि लोकपाल बिल स्टैंडिंग कमेटी के पास है. प्रधानमंत्री ने कहा, हम सभी इस बात पर सहमत हैं कि लोकपाल विधेयक संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए. सवाल यह है कि कानून का मसौदा कौन तैयार करे और कौन कानून पारित करे.
मनमोहन सिंह ने कहा कि टीम अन्ना ने दी गई जगह पर अनशन करने के लिए मना कर दिया और पुलिस की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया. शर्तें न मानने की वजह से ही उन्हें अनशन करने की इजाजत नहीं मिली.
प्रधानमंत्री ने अपने बयान में कहा कि उन्हें अन्ना की गिरफ्तारी पर अफसोस है. लेकिन शर्तें न मानने की वजह से अन्ना पर ये कार्रवाई करनी पड़ी.
अन्ना की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि अन्ना को मंगलवार की शाम को ही रिहा कर जेल से बाहर आने के लिए कहा गया था लेकिन वह खुद ही जेल में रहने पर अड़े हैं.
एक तरफ जहां प्रधानमंत्री लोकसभा में अपना बयान पढ़ रहे थे वहीं दूसरी तरफ सांसदों ने जमकर हंगामा किया.
प्रधानमंत्री अपना बयान समाप्त कर राज्यसभा में बयान देने के लिए चले गए, जिसपर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया.
उल्लेखनीय है कि 74 वर्षीय अन्ना हजारे को सख्त लोकपाल विधेयक की मांग को लेकर उनका अनशन शुरू होने से पहले ही मंगलवार को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. इस पर सारे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. इसके बाद शाम को सरकार ने अपना रुख पलटते हुए अन्ना हजारे को रिहा कर दिया गया लेकिन जानेमाने समाजसेवी ने तब तक जेल से बाहर आने से इंकार कर दिया जब तक कि उन्हें बिना शर्त अनशन जारी रखने की इजाजत नहीं मिल जाती.
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