-डॉ. अशोक प्रियरंजन
अन्ना ने जब त्यागा अन्न,
पूरा देश रह गया सन्न ।
जनता ने जो दिया समर्थन,
भ्रष्टाचारी करें कीर्तन।
सत्ता हिल गई, नेता हिल गए,
राजनीति के अभिनेता हिल गए।
जनमानस में भर गया जोश,
देशद्रोहियों के उड़ गए होश।
जागृति की अलख जगा दी
गांधीजी की याद दिला दी।
चलती रहें जो ऐसी तदबीर,
देश की फिर बदले तकदीर।
अन्ना ने जब त्यागा अन्न,
पूरा देश रह गया सन्न ।
जनता ने जो दिया समर्थन,
भ्रष्टाचारी करें कीर्तन।
सत्ता हिल गई, नेता हिल गए,
राजनीति के अभिनेता हिल गए।
जनमानस में भर गया जोश,
देशद्रोहियों के उड़ गए होश।
जागृति की अलख जगा दी
गांधीजी की याद दिला दी।
चलती रहें जो ऐसी तदबीर,
देश की फिर बदले तकदीर।
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