जो भ्रांतियां इस कानून के खिलाफ फैलाई जा रही हैं, उसमें एक चीज यह कही जा रही है कि प्रधानमंत्री को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाये। प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच करने की पावर लोकपाल को न दिया जाए।
ये कहा जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल जांच करेगा तो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम बदनाम होगा। ये कहा जा रहा है कि अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ लोकपाल जांच करेगा तो हमारे जनतन्त्र का खतरा पैदा हो सकता है।
सवाल ये है कि अगर हमारे देश में कोई भ्रष्ट प्रधानमंत्री है तो इससे बड़ा भारत के लिए धब्बा कोई नहीं हो सकता। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के ऊपर अगर भ्रष्ट प्रधानमंत्री के खिलाफ भारत सख्त कार्रवाई करता है तो भारत के प्रतिष्ठा बढ़ेगी। लेकिन उसके भ्रष्टाचार को भारत सहन करता है तो भारत की बदनामी चारों तरफ होगी।
दूसरी बात, एक भ्रष्ट प्रधानमंत्री हमारे देश के लिए, हमारे जनतन्त्र के लिए, हमारी सिक्योरिटी के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। तो सबसे बड़ा खतरा क्या है? भ्रष्ट प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचार को नहीं रोकना और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच न होना अथवा भ्रष्टाचार को पकड़ के प्रधानमंत्री के खिलाफ एक्शन लिया जाना?
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