वाकई संविधान में लिखी ये लाइन कि भारत एकता और अखंडता का देश है तो ये बिलकुल सही है जो इस मुहिम के द्वारा देखने को बखूबी मिल रहा है. देश भर में टेलीविज़न, समाचार पत्र, रेडियो, विभिन्न तरह की सोशल नेटवर्किंग साईट्स में आज कल बस अन्ना हजारे ही पूरी तरह छाये हैं और लोग उनका पूरी तरह से समर्थन कर रहे हैं. सबसे बड़ा प्रश्न चिन्ह तो ये उठता है कि क्या जनलोकपाल बिल के आ जाने से देश से भ्रष्टाचार ख़तम हो जायेगा?आज इस लड़ाई को आज़ादी की दूसरी लड़ाई की संज्ञा भी दी जा रही है... हमारी संसद या सरकार ने देश भर में कई तरह के कानूनों को लागू किया है, पर क्या सभी उस कानून के दायरे में रह कर या कानून के अनुसार काम करते है? नहीं, आज सभी अपने कानून के दायरे से ऊपर चल रहे है.
मेरे ख्याल से अगर हम आप सभी आपस में ये निर्णय कर लें कि हम खुद में खुद से भ्रष्टाचार रोकेंगे तो किसी तरह के जनलोकपाल बिल की कोई ज़रूरत ही न पड़े. और अगर जनलोकपाल बिल आ गया और किसी दो के बीच आपसी समझौते से काम जुगाड़ से हो गया तो क्या इसके बारे में अन्ना जी को पता चल पायेगा? इसलिए मेरे हिसाब से सबसे पहले हमें खुद को सुधारना होगा कि न हम भ्रष्टाचार करेंगे न होने देंगे. आज परिवार से ही शुरू हो जाता है भ्रष्टाचार!!! घर में एक लड़के की शादी क्या पड़ी लो शुरू हो गया दहेज नामक भ्रष्टाचार ..बस इन्हीं छोटी-छोटी चीजों को दरकिनार करके हम खुद से भ्रष्टाचार को पूरे देश से खत्म कर सकते हैं, बस खुद में सुधार करने की ज़रूरत है. और यदि अब एक इंसान का कदम देश के हित में एक नेक काम के लिए पड़ा है, तो हम सभी देशवासियों का फ़र्ज़ है उनकी इस मुहिम में उनका पूरा समर्थन करें और देश के हित की रक्षा करे. भारतवासी होने के नाते ये हमारा फ़र्ज़ है. जय हिंद !!
लेखिका नेहा श्रीवास्तव वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की छात्रा हैं.
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