Saturday 27 August 2011

लोकसभा में जारी बहस

लोकपाल पर बहस के दौरान सुषमा स्वराज ने अन्ना की शर्तों का समर्थन और कांग्रेस पर वार किया.
संसद के निचले सदन लोकसभा में लोकपाल बिल पर महाबहस जारी है. इसकी शुरुआत केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने की जिस पर चर्चा शुरू हुई.
प्रणब ने शुरू में ही अन्ना हजारे से अनशन तोड़ने की अपील की.
इसके बाद सुषमा स्वराज ने अपने संबोधन में अन्ना के जनलोकपाल की तीनों शर्तों का समर्थन किया. निचली नौकरशाही को लोकपाल के दायरे में लाने पर भाजपा की सहमति की जानकारी सुषमा ने सदन को दी.
हर राज्य में लोकायुक्त की नियुक्त पर भी सुषमा ने टीम अन्ना से सहमति जताई. भाजपा नेता ने कहा कि लोकपाल पर पहला बिल 1968 में आया और इसमें भी लोकायुक्तों की नियुक्ति का प्रावधान था. सुषमा संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए इसे संभव बताया.
केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी इकाई को लोकपाल के दायरे में लाने का भी भाजपा ने समर्थन किया. इस पर बोलते हुए सुषमा ने कहा कि सीबीआई ने कैसे आडवाणी, शरद यादव, लालू जैसे नेताओं को झूठे मामले में फँसाया.
इस पर कांग्रेस सदस्यों ने कड़ा ऐतराज जताया और संदीप दीक्षित ने कई कांग्रेसी नेताओं के नाम गिनाए जिन पर सीबीआई ने आरोप लगाए.
हालांकि संसद के भीतर सांसद के आचरण को लोकपाल के दायरे में लाने पर सुषमा ने कहा कि उनकी पार्टी इससे सहमत नहीं है लेकिन सदन के बाहर के आचरण को लोकपाल के दायरे में लाया जा सकता है.
हर सरकारी विभाग में सिटिजन चार्टर के संदर्भ में जनलोकपाल बिल के प्रावधानों से सुषमा ने थोड़ी असहमति जताई. उन्होंने कहा कि इसके लिए हर राज्य में लोकसेवा प्रदायी कानून बनाया जा सकता है.
सुषमा ने बताया कि उनकी सलाह से टीम अन्ना भी सहमत है.
सुषमा के बाद कांग्रेसी सांसद संदीप दीक्षित ने टीम अन्ना के साथ बंद कमरे में हुई बातचीत को सार्वजनिक करने के लिए सुषमा की आलोचना की.
संदीप दीक्षित ने कहा कि खुद टीम अन्ना अपने जनलोकपाल बिल में कई बार संशोधन कर सकती है तो सरकार के बिल को संशोधित करने पर विचार क्यों नहीं हो सकता.


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