Friday, 12 August 2011

............तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है?



मेरे दादा जी उस उम्र के दौर से गुजर रहे हैं जहां चीजें अक्सर छूटने लगती हैं। छोटी शुभी ने उनके हाथों को देखकर हैरत से कहा,‘इनके हाथों की नसें किस तरह चमक रही हैं।’ ऐसा उसने गंभीरता से कहा था। उस छोटी बच्ची को भी एक वृद्ध की इस अवस्था को देखकर हैरानी हुई।

दरअसल बुढ़ापा अपने साथ संशय और हैरानी लाता है। इंसान खुद को ऐसे दौर में पाता हैं जहां से रुट बदलना नामुमकिन है। अब तो सिर्फ आगे जाना है। हां, पीछे मुड़कर देखा जा सकता है, लेकिन पुराने दिनों को जिया नहीं जा सकता।

शुभी की बात ने मुझे भी गंभीर कर दिया था। नसों ने त्वचा का दामन नहीं छोड़ा है। बस किसी तरह चिपकी हैं।

हम जब एक वृद्ध को देखते हैं तो पाते हैं कि जर्जरता किस कदर हावी हो सकती है। शरीर कितना  है बाकी।

हम जानते हैं कि हम भी कभी वृद्ध होंगे। हम भी होंगे अपने वृद्धजनों के दौर में। ...............तब एहसास होगा कि बुढ़ापा क्या होता है?


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