कुछ इस अदा से आज वो पहलू नशीं* रहे
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे
या रब किसी के राज-ए-मुहब्बत के ख़ैर हो
दस्ते जुनूँ* रहे न रहे आस्तीं रहे
मुझको नहीं क़ुबूल दो आलम के वुअसतें*
क़िस्मत में कूए-यार* की दो गज़ ज़मीं रहे
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे
अल्लाह रे चश्मे-नाज़ की मोजिज़* बयानियाँ
हर इक को है गुमां कि मुख़तिब* हमीं रहे
शब्दार्थ : पहलू नशीं =क़रीब, जुनूँ =उन्माद, वुअसतें =विस्तार, कूए-यार =दोस्त की गली, मोजिज़ =चमत्कारिक, मुख़तिब =संबोधित
जब तक हमारे पास रहे हम नहीं रहे
या रब किसी के राज-ए-मुहब्बत के ख़ैर हो
दस्ते जुनूँ* रहे न रहे आस्तीं रहे
मुझको नहीं क़ुबूल दो आलम के वुअसतें*
क़िस्मत में कूए-यार* की दो गज़ ज़मीं रहे
जा और कोई ज़ब्त की दुनिया तलाश कर
ऐ इश्क हम तो अब तेरे क़ाबिल नहीं रहे
अल्लाह रे चश्मे-नाज़ की मोजिज़* बयानियाँ
हर इक को है गुमां कि मुख़तिब* हमीं रहे
शब्दार्थ : पहलू नशीं =क़रीब, जुनूँ =उन्माद, वुअसतें =विस्तार, कूए-यार =दोस्त की गली, मोजिज़ =चमत्कारिक, मुख़तिब =संबोधित
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