Tuesday, 9 August 2011

झूमे पत्ते डाली डाली ....



१) झूमे पत्ते
डाली डाली
झूम के बरसा मेघ
सावन की ऋतु आ ली



२)कैसे मदमस्त
हो के छेड़े मल्हार
पत्तियों पर बुंदिया की
पड़े है जब मार

३) ज़मीन कही पर
सूखी है
बादल कही और
बरसता है
मोहब्बत बिखरी है
दुनिया में
मगर यह दिल
फिर भी तरसता है

४)फिर से सावन आया है
सदियों से रीती धारा में
फिर से यौवन आया है

सूखे से विरानो में 
कुछ कह कर 
कुछ ख़ामोशी से
कलकल कलकल

झरझर झरझर
मोती इसमें बहते हैं

कोई कहे
कोई समझाए
क्या प्यार इसी को कहते हैं ?

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