एक शाम,
सूरज मचल गया,
किसी के प्यार में पिघल गया,
पहले लाल हुआ
फिर सुनहरा होकर
गिलास में ढल गया
बन गया
एक जाम
एक शाम।
एक भोर,
अलसाई नींद में
दूबों की नोंक पर
जमा हुई शबनम
पहले ठिठकी ज्यादा
फिर कम
शबनम, गिलास के सूरज से मिल गई
पाकर मुहब्बत
गुलाब-सी खिल गई।
बजने लगे जलतरंग
चहुं ओर
एक भोर।
एक दिन
कड़कती धूप से थके तीन दोस्त
सीढियों पर बैठ
हवा के साथ समझकर मय
सूरज औ शबनम को पी गए
लगा कि जिंदगी जी गए
पर सपनों के सूरज को पचाना
कहां आसान है,
कितना भी पिघल ले,
सूरज बर्फ तो नहीं होता,
मुश्किल है जीना सूरज बिन
एक भी दिन।
सूरज मचल गया,
किसी के प्यार में पिघल गया,
पहले लाल हुआ
फिर सुनहरा होकर
गिलास में ढल गया
बन गया
एक जाम
एक शाम।
एक भोर,
अलसाई नींद में
दूबों की नोंक पर
जमा हुई शबनम
पहले ठिठकी ज्यादा
फिर कम
शबनम, गिलास के सूरज से मिल गई
पाकर मुहब्बत
गुलाब-सी खिल गई।
बजने लगे जलतरंग
चहुं ओर
एक भोर।
एक दिन
कड़कती धूप से थके तीन दोस्त
सीढियों पर बैठ
हवा के साथ समझकर मय
सूरज औ शबनम को पी गए
लगा कि जिंदगी जी गए
पर सपनों के सूरज को पचाना
कहां आसान है,
कितना भी पिघल ले,
सूरज बर्फ तो नहीं होता,
मुश्किल है जीना सूरज बिन
एक भी दिन।
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