शाही सुख सुविधाओं में जीने के आदी विजय माल्या अपनी किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज संकट से उबारने के लिए सरकार से मदद मांग रहे हैं। किंग ऑफ गुड टाइम्स की कंपनी यूबी ग्रुप की शराब दुनिया के 52 देशों में बिकती है। देश के आधे शराब कारोबार पर उनका कब्जा है। 60% बीयर सिर्फ किंगफिशर की होती है। सवाल ये है कि उनको बेलआउट सरकार क्यों करे। जनता को जरूरत भर के पेट्रोल पर चवन्नी भी सब्सिडी देने को तैयार नहीं है सरकार।
-हर्षवर्धन त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार, दिल्ली
किंगफिशर एयरलाइन डूब रही है. उसके मालिक विजय माल्या सरकार से बेल आउट की मांग कर रहे हैं. सरकार भी बेल आउट देने के लिए बेचैन दिख रही है. इस बेल आउट के लिए तर्क यह दिया जाएगा कि १) हजारों लोगों की नौकरी दांव पर लगी है. २) हवाई यात्रियों को बहुत परेशानी होगी. ३) इतनी बड़ी एयरलाइन को डूबने कैसे दिया जा सकता है. ४) इससे देश की छवि खराब होगी ५) निवेशकों खासकर विदेशी निवेशकों में गलत सन्देश जाएगा. और तय है कि सरकारी पैसे से बेल आउट पाकर माल्या मालामाल हो जाएंगे. कोई नहीं पूछेगा कि माल्या के मिस-मैनेजमेंट, फिजूलखर्ची और मनमानियों की कीमत आम आदमी की जेब से क्यों जाए? यही है मुनाफे का निजीकरण और घाटे का सरकारीकरण.
-आनंद प्रधान, प्रोफेसर, आईआईएमसी, दिल्ली
किसान खुदकुशी करते हैं तो करते रहें. गांव के लिए भेजा जाने वाला पैसा नेता और अफसर हड़पते हैं तो हड़पते रहें. देश में महंगाई की मार बढ़ रही है तो बढ़ती रहे. भ्रष्टाचार बेहिसाब बढ़ रहा है तो बढ़ता रहे. इन सब पर कुछ नहीं कर सकती केंद्र सरकार. लेकिन हां, अगर अकूत संपदा के मालिक विजय माल्या अपनी एयरलाइंस बचाने के लिए सरकार से पैकेज की मांग करते हैं तो सरकार के भीतर हलचल शुरू हो जाती है.
यह मुद्दा यह बताने के लिए पर्याप्त है कि अपन के देश की सरकारें जन हित की नहीं बल्कि कारपोरेट्स के हित की संरक्षक हैं. इस मुद्दे पर पढ़े-लिखे लोगों में विजय माल्या और केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश उभरने लगा है. फेसबुक पर लोग अपने-अपने मन की बात लिखने लगे हैं. यहां दो लोगों के फेसबुक वॉल से उनकी प्रतिक्रियाएं लेकर यहां प्रकाशित की जा रही हैं.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
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