Sunday 28 August 2011

ये स्त्रियों का कौन सा गुण है?



दो सच्ची घटनाएँ बयान कर रहा हूँ जिनके विषय में मेरे पास प्रथम पुरुष जानकारी (फर्स्ट हैण्ड इन्फोर्मशन)  उपलब्ध है. मेरी पूरी कोशिश है की कम से कम शब्दों में अपनी बात कही जाए  ताकि आपका कीमती वक्त बर्बाद न हो. कृपया ध्यान से पढ़ें और बताएं की ये स्त्रियों का कौन सा गुण है.

पहली घटना.

मेरी पहली पोस्टिंग के वक्त मेरी  जानपहचान  एक बहुत ही सुन्दर और सुशील  नर्स से हुई जो अपने कार्य  के प्रति पूरी तरह से समर्पित थीं(अपने कार्य  के प्रति समर्पण सरकारी कर्मचारियों का एक दुर्लभ गुण है)  .  इन्होने एक निखट्टू  से प्रेम विवाह किया था. पति निखट्टू होने के साथ साथ पियक्कड़ भी  था.  धीरे धीरे  उनके प्रेम और विवाह के सारे घटनाक्रम की जानकारी मुझे उन्हीं के मुख से प्राप्त हुई. उन्हें अपने इस प्रेमी से पहली नज़र में प्यार नहीं हुआ था बल्कि शुरू में तो वो आवारा लड़का उन्हें बिलकुल भी पसंद नहीं था और उन्होंने अपने भाइयों से उसकी एक दो बार जबर्दस्त पिटाई भी करवाई पर फिर आहिस्ता अहिस्ता  उस निखट्टू के प्रेम का रंग उन  पर चढ़ ही गया और अंततः इन नर्स महोदया ने अपने परिवार के जबरदस्त विरोध के बावजूद अपने इसी प्रेमी के साथ, जिसकी कभी शुरुवात में इन्होने पिटाई  करवाई थी, विवाह कर घर बसा लिया और अब दो बच्चों के साथ उसका लालन पालन कर रही थी .

दूसरी घटना.

मेरे बचपन के एक सखा हैं जो  अपने माता पिता की ग्यारह  जीवित संतानों  में से सबसे आखिरी पायदान पर हैं. इनके दसवें पायदान वाले भाई साहब ने अपनी मुफ्तखोरी की आदत  की वजह से अपनी माता के नाम का २२५ गज का प्लाट जिसका बाजार मूल्य उस वक्त करीब २५ लाख रुपये  था सिर्फ दस या पंद्रह हज़ार रुपयों में हमारी कालोनी के ही एक नामी  गिरामी गुंडे के पास, जिसका काम ही लोगों की प्रोपर्टी हड़पना था,  गिरवी रखवा दिया. कोई बात नहीं घर के सदस्यों  ने अपने भाई के इस अपराध को क्षमा कर दिया. बड़ी जद्दोजहद के बात मेरे मित्र ने अपने लिए एक ५० गज के प्लाट का जुगाड़  किया और उसमे मकान बनवाया. मित्र के वही बड़े भाई जिनकी कृपा से वो लोग सड़क पर ही आ गए थे उनके साथ बने रहे हालाँकि  उनके रवैये में जरा भी गंभीरता नहीं आई. मेरे मित्र की शादी कर दी गयी और उनके उस बड़े भाई का विवाह नहीं हो पाया क्योंकि वो  मुफ्तखोरी और मटरगस्ती  अपनी आदत को छोड़ नहीं पाए  थे. खैर मेरे मित्र ने विवाह के बाद भी अपने बड़े भाई को अपने घर अपने साथ ही रखा और अपनी पत्नी से बड़े भाई को वही सम्मान दिलवाया जो एक जेठ को मिलना चाहिए . माता जी भी अपने सभी ज्यादा संपन्न और स्थापित पुत्रों को छोड़ अपने सबसे छोटे बेटे के पास ही रही. कहते हैं की माता को अपना सबसे छोटा पुत्र सबसे ज्यादा  प्यारा होता है. एक दिन मुफ्तखोर जेठ ने अपनी बहु यानि मेरे मित्र की पत्नी के साथ कोई शारीरिक छेड़खानी कर दी जो मेरे मित्र को  सहन नहीं हुआ और उन्होंने  अपने बड़े भाई को घर से निकल दिया. इस घटना को लेकर मेरे मित्र की माताजी सारी बातें अच्छी तरह से जानते हुए भी अपने अंतिम वक्त तक मेरे मित्र यानि अपने सबसे छोटे पुत्र और उनकी पत्नी  से नाराज ही रहीं.  


मुझे तो लगता है की ये स्त्रियों का भावुकता  वाला गुण है.(पता नहीं गुण है या कुछ और)

आप  बताएं ये दोनों उपरोक्त घटनाएँ स्त्रियों के किस गुण की और इशारा करती दिखाई पड़ती हैं.

No comments:

Post a Comment