Saturday 20 August 2011

रविवार की सुबह अन्ना हजारे के अनशन का छठा दिन होगा लेकिन समाधान के रास्ते संकुचित ही नज़र आ रहे हैं. सरकार और अन्ना दोनों अडिग हैं.



अन्ना हजारे का अनशन तो जारी है लेकिन जनलोकपाल पर समाधान का रास्ता अभी तक दिखाई नहीं दे रहा है.
एक तरफ़ अन्ना जनलोकपाल बिल आने तक अनशन जारी रखने की बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर यूपीए सरकार संसदीय प्रक्रिया का हवाला देकर आंदोलन के सुस्त पड़ने के इंतज़ार में है.
इसी बीच शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने सरकारी लोकपाल बिल और जनलोकपाल दोनों को खारिज करते हुए तीसरा मसौदा पेश कर मामला और उलझा दिया है.
उन्होंने जनलोकपाल, लोकपाल और अपने मसौदे को शामिल करते हुए बेहतर विधेयक तैयार करने की वकालत की है.
हालांकि अरुणा राय के कदम को सिविल सोसाइटी में दरार बताने की साजिश कही जा रहा है.
इस बीच केंद्र सरकार की ओर से शनिवार को कुछ संकेत तो आए लेकिन नरमी के कम और टालू ज्यादा दिखे. पहले केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह टीम अन्ना से मिलने रामलीला मैदान पहुंचे.
उसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि बातचीत का रास्ता खुला है. लगभग यही बात प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कही.
मनमोहन सिंह का कहना था कि सरकारी बिल संसद की स्थायी समिति के सामने है लेकिन किसी क़ानून को बनने में समय लगता है और इस बीच सभी पक्षों से बातचीत की जा सकती है.
पर टीम अन्ना अब आर या पार के मूड में है. अन्ना हजारे ने कांग्रेस पर सीधा हमला बोला है. उन्होंने जनलोकपाल बिल को ही जनता का विधेयक बताते हुए उसे ही संसद में पेश करने को कहा है.
कुछ कांग्रेसी नेताओं ने टीम अन्ना के आंदोलन में मदद देने वाली कंपनियों के नाम गिनाए थे और राशिद अल्वी ने तो इसमें अमेरिकी हाथ होने के आरोप लगा दिए. इस पर तिलमिलाए अन्ना ने शनिवार को कहा कि हो न हो कांग्रेस को इस आंदोलन के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने की भी बू आ सकती है.
तो समाधान की सीमा नज़र नहीं आ रही. दूसरी ओर भाजपा सांसद वरुण गांधी और राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने जनलोकपाल को प्राइवेट मेंबर बिल के रुप में संसद में पेश करने की घोषणा की है लेकिन इसके लिए एक महीने का पूर्व नोटिस जरूरी है.
इस लिहाज से मौजूदा सत्र में यह संभव नहीं है क्योंकि मॉनसून सत्र आठ सिंतबर को ख़त्म हो रहा है.
लगे हाथ भाजपा ने मौका भुनाते हुए अन्ना की आवाज को जनता की आवाज बताते हुए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रख दी है.
ऐसे में सरकार दबाव में तो है लेकिन कितनी झुकती है इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता.

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