Sunday 28 August 2011

सपने में देखा एक सपना.


भ्रष्टाचार  के विरुद्ध लड़ना है, एक साफ़ सुथरे चरित्र वाला नेता चाहिए. क्या मिलेगा?

जी नहीं. साफ़ सुथरा चरित्र तो हमारे भगवानों का नहीं रहा है तो हमारा कैसे होगा . आपको जो है, जैसा है के आधार पर ही काम चलाना होगा. यानि की एक दागदार को दुसरे दागदार से बदला जायेगा. एक निकम्मे  का विकल्प दूसरा निकम्मा होगा. वैसे भी आप व्यक्ति नहीं मुद्दा देखिये. भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जो कोई नेता बनाना चाहेगा हम उसके पीछे चल देंगे चाहे वो बडबोले कांग्रेसी दिग्विजय सिंह हो या बाबा रामदेव. मुद्दा बड़ा है व्यक्ति नहीं.

अच्छा जी , इसका तो मतलब है की दुनिया वैसे ही चलेगी जैसे वो पहले चलती थी. इन लाठी, डंडा, अनशन जैसी तमाम मुश्किलों से मिले  परिवर्तन का बस इतना सा फायदा होगा की एक स्थापित भ्रष्टाचारी की जगह हमें एक नौसिखिया भ्रष्टाचारी मिलेगा और जब वो पक  जायेगा या जनता उससे पक जाएगी तो हम एक और नया भ्रष्टाचारी खोज लेंगें.

तो क्या करें? 

क्या हम अपनी शासन व्यवस्था को कुछ इस तरह से नियोजित नहीं कर सकते की किसी नेता की जरुरत ही ना रहे. व्यवस्था खुद ही हर समस्या का समाधान खोज ले . नेता के रूप में चाहे डाक्टर अब्दुल कलाम हों या अपनी महामहिम प्रतिभा पाटिल जी किसी को भी कुर्सी पर बैठा दो, व्यवस्था चलती रहे. काम होते रहें. अपने इर्द गिर्द प्रकृति  को देखें. सब कुछ व्यवस्थित चलता है. जानवरों के झुण्ड तक एक निश्चित व्यवस्था के तहत अपने नेता का चुनाव आसानी से कर लेते हैं.तो फिर हम इतने समझदार जानवर होते हुए भी अपने लिए एक श्रेष्ठ नेता नहीं चुन पाते. 

......ये सब बकवास है, बचकाना है, अपरिपक्व है. कुछ सोलिड सोचो. 

चलो तो सबसे पहले एक ईमानदार व्यक्तित्व की खोज करें. मुझे विश्वास है की वो हमें हमारे ही आस पास मिलेगा. फिर उसे इस आन्दोलन की कमान सौप दें. मुझे याद है की अपने डाक्टर कलाम  की इच्छा थी की वो दुबारा राष्ट्रपति बने मगर उन्हें पूरा समर्थन ही नहीं मिला और समर्थन मिला माननीया महामहिम प्रतिभा पाटिल जी को जो आज राष्ट्रपति के पद पर शोभायमान हैं . 

हमारी जनता जो निस्वार्थ भाव से बाबा रामदेव जी को अपना अंध समर्थन दे रही है क्या वो ऐसा ही समर्थन डाक्टर कलाम  जैसे लोगों को नहीं दे सकती. कहीं हमारी जनता के मन में ही एक साफ़ और स्वच्छ नेतृत्व के प्रति  किसी तरह का डर तो  नहीं समाया है.
....नहीं ये भी फिजियेबल नहीं है.

तो क्यों ना हम लोग खुद में ही बदलाव ले  आयें. खुद को सुधार लें. फिर हम सुधारे हुए लोगों को तो एक सही दिशा मिल ही जाएगी. जापान का उदहारण देखो. भ्रष्टाचारी नेता वहां भी पैदा हुए हैं. नेतृत्व वहां भी गलतियाँ  करता है पर वहां की सदाचारी जनता हमेशा ईमानदार  बनी रहती है. हाल फ़िलहाल में वहां हुयी विपत्तियों में उभर कर आये  उन लोगों के चरित्र से हमें कुछ न कुछ प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए .

..... प्यारे ऐसी भयंकर बातें  छोड़ और  कुछ प्रक्टिकल बात कर. 

तो चलो सपने बहुत देख लिए मैं अंत में आपको एक कहानी सुनाता हूँ. आशा है आप मेरी बात को समझ जायेंगे. 

एक स्त्री सबसे कामुक पुरुष से विवाह करना चाहती थी. खोज बीन  शुरू हुयी और अंत में एक जंगल में एक  पेड़ के नीचे  लेटे एक ऐसे पुरुष पर जाकर समाप्त हुयी जो बहुत चीख चीख कर दुनिया की सारी चीजो के साथ सेक्स करने की बात कर रहा  था. स्त्री बहुत खुश हुयी की चलो सबसे बड़ा कामुक पुरुष मिला. शादी हुई. सुहागरात का समय आया . पुरुष बडबडाता रहा की पलंग तोड़ दूंगा, ये फाड़ दूंगा वो चीर दूंगा पर जो करना था वो नहीं किया. स्त्री को गुस्सा आया और उसने पुरुष से पूछा अबे इतनी देर से बकवास कर रहा है की ये कर दूंगा वो कर दूंगा जो करना है वो करता क्यों नहीं. पुरुष का जवाब था की मैं तो शुरू से एक बडबोला और बकवासी हूँ और सारी जिंदगी सिर्फ यही कर सकता हूँ. 

तो भैया मेरा तो  सभी से यही कहना है की वो सत्ता की सेज पर सोलिड लोगों को लाने  का यत्न करें ना की पैदायशी बडबोले और बकवासी लोगों को. 

अंत में जय राम जी की बोलना पड़ेगा.  
प्रस्तुतकर्ता VICHAAR SHOONYA

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