Thursday, 1 December 2011


सिर्फ वोट दिया है अपनी तकदीर नहीं दी तुमको

भगवान् नहीं हो की चाहे जो फैसला सुना दो हमको

हम जो मांगे वो तुमको करना नहीं, जो तुम चाहो बस वही सही

कहते हैं एफडीआई के तहत किस्मत संवार देंगे

३२ रुपये के अमीर को अब नया बाज़ार देंगे

सिर्फ बाज़ार से तरक्की होती है तो

वो अपने घर में क्यूँ नहीं खोल लेते अपनी एक और दुकान

हमारी जमीन और अपने जमीर का सौदा करने वालो

हमें नहीं चाहिए ऐसा भारत निर्मान

आखिर कब तक यूँ अंग्रेजियत की खुमारी में जीते रहेंगे

बिसलेरी की बोतल में अपनी ही गंगा भरकर पीते रहेंगे

सी सी डी में तब्दील हो गई चाय की चौपाल
के अफ सी और मक्डोनल हो गए

रास्तों के किनारे वाले ढाबों का हाल

कब तक, आखिर कब तक यूँ ही चलता रहेगा

कब तक हमारे बगीचे में विदेशी खरपतवार फलता रहेगा . . .


SHOW UNITY
Poem by: SOMESH KHARE
India is changing.. Be a part

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