जो हमसे बहुत करीब है
शायद इसे मजबूरी कहते हैं,
जो हमें चाहता है
उसे हम पा नही सकते,
शायद इसे नसीब कहते हैं,
जिसे नही देखा कभी
फिर भी उसे पाने की तमन्ना है
शायद इसे वक्त की नज़ाकत कहते हैं
अजी इस मजबूरी और नसीब के बीच
पनपता एक रिश्ता है
,
शायद इसे यहां मॊहब्बत कहते हैं
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